मित्रो ! अगस्त का महीना
आजादी के तराने गाने-गुनगुनाने का मौसम होता है ।
आइये, देश के नये परिवेश मेँ
आज़ादी के नये गीत गुनगुनायें-
जन-गण-मन को मूर्ख बनाओ-- आज़ादी है ।
आओ आओ, जश्न मनाओ-- आज़ादी है ।।
हर
बंदा आज़ाद परिंदा है भारत में ।
घर में मंदा बाहर धंधा है भारत में ।।
महँगाई डायन
खाये जाती है सबको--
शासन और प्रशासन अंधा है भारत में ।।
अंधे को आईना दिखाओ--
आज़ादी है ।
आओ आओ, जश्न मनाओ-- आज़ादी है ।।
गाँधी का सपना है हिन्दुस्तान हमारा ।
नेहरू की कल्पना है हिन्दुस्तान हमारा ।।
लेकिन उनकी औलादों की करतूतों से--
चारागाह बना है हिन्दुस्तान हमारा ।।
अपनी-अपनी भैंस चराओ-- आज़ादी है ।
आओ आओ, जश्न मनाओ-- आज़ादी हैं ।।
बार-बार अनशन करते
हैं अन्ना प्यारे ।
देश-भक्ति का दम भरते हैं अन्ना प्यारे ।।
भ्रष्टाचार बना है 'शिष्टाचार' देश मेँ--
जाने इससे क्यों डरते हैं अन्ना प्यारें ।।
देसी शिष्टाचार निभाओ--
आज़ादी है ।
आओ आओ,
जश्न मनाओ-- आज़ादी है ।।
आजादी के तराने गाते रहो,
ReplyDeleteदेसी शिष्टाचार निभाते रहो |
बहुत खूब . . .
ReplyDeleteहर बंदा आज़ाद परिंदा है भारत में ।
घर में मंदा बाहर धंधा है भारत में ।।